प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा सहित वरिष्ठ नेताओं ने दी स्व. नानाजी को श्रद्धांजलि

प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा सहित वरिष्ठ नेताओं ने दी स्व. नानाजी को श्रद्धांजलि
वक्ताओं ने कहा- भारत माता के मुकुटमणि, युग के ऋषि थे स्व. नानाजी देशमुख


 चित्रकूट/भोपाल। भारत रत्न स्व. नानाजी देशमुख की दसवीं पुण्यतिथि पर चित्रकूट के दीनदयाल परिसर में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णुदत्त शर्मा समेत अनेक वरिष्ठ नेताओं ने स्व. नानाजी के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने स्व. नानाजी देशमुख से जुड़े संस्मरण साझा किए और उन्हें भारतमाता का मुकुटमणि, महापुरुष तथा युग का ऋषि निरूपित किया।
 भारत रत्न स्व. नानाजी देशमुख की 10 वीं पुण्यतिथि पर चित्रकूट स्थित दीनदयाल परिसर में ’ पोषण एवं जल संस्कृति’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ। इस अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मलूक पीठेश्वर वृंदावन के पूज्य संत श्री राजेंद्र दास जी महाराज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी जी, दीनदयाल शोध संस्थान के संरक्षक मदनदास जी देवी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व सांसद श्री प्रभात झा, प्रदेश उपाध्यक्ष व विधायक सुश्री उषा ठाकुर, उत्तर प्रदेश सरकार के लोक निर्माण मंत्री श्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय, पूर्व मंत्री श्री राजेंद्र शुक्ला, विधायक श्री संजय मारू, श्री मोहन यादव, सांसद श्री महेन्द्रसिंह सोलंकी, छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री श्री चंद्रशेखर साहू, विधायक श्री मुकेश तिवारी, दीनदयाल शोध संस्थान के अध्यक्ष श्री वीरेंद्र जीत सिंह, उपाध्यक्ष डॉ नरेश शर्मा, डॉ भरत पाठक एवं प्रधान सचिव श्री अतुल जैन, संगठन सचिव श्री अभय महाजन प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
उनके व्यक्तित्व में प्रकाश और शीतलता दोनों ही थींः उमाश्री भारती
 स्व. नानाजी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमाश्री भारती ने कहा कि हमें नानाजी जैसे व्यक्तित्व से ही समझ आता है कि राजनीति चुनाव का विषय नहीं है, राजनीति सेवा के लिए हैं, स्वार्थ के लिए नहीं। सेवा में ही सार्थकता का बोध होता है। नानाजी एक अद्वितीय व्यक्तित्व थे। उन्होंने कहा कि जब जब शरद पूर्णिमा आती है, मैं उन्हें याद करती हूं। शरद पूर्णिमा के चांद की तरह उनके व्यक्तित्व में प्रकाश और शीतलता दोनों थी। सुश्री भारती ने कहा कि उनकी जिंदगी में कर्मकांड नहीं था, उनका जीवन आध्यात्मिक था। उन्होंने कहा कि नानाजी ने व्यक्तियों और संस्थाओं को खड़ा किया और उन लोगों ने सृष्टि के लिए बहुत कुछ किया है। इस दृष्टि से वास्तव में नानाजी भारत माता के मुकुट में जगमगा रहे भारतरत्न हैं।
गांव को सर्वोपरि मानते थे स्व. नानाजीः प्रभात झा
 भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं सांसद श्री प्रभात झा ने स्व. नानाजी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि नानाजी चित्रकूट के लिए एक पर्याय हैं। उन्होंने एक अनूठा उदाहरण पेश किया है कि किस तरह समाज के सहयोग से इतना बड़ा काम खड़ा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नानाजी के चेहरे पर एक ही भाव दिखता था और वो था-समृद्ध गांव। उनका मानना था कि गांव सर्वोपरि है, उसका सुदृढ़ होना जरूरी है। आज उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर हम सब उनके कार्यों को आगे बढ़ाने का संकल्प लें, यही नानाजी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
वक्ताओं ने किया स्व. नानाजी का स्मरण
 स्व. नानाजी देशमुख का स्मरण करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के लोक निर्माण मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने कहा कि नानाजी का हर काम एक अभिनव प्रयोग की तरह होता था। संस्थान के प्रधान सचिव अतुल जैन ने कहा कि नानाजी का मानना था कि हमारे विकास का मॉडल देशानुकूल भी होना चाहिए और साथ में युगानुकूल भी होना चाहिए। मलूक पीठेश्वर संत श्री राजेंद्र दास जी महाराज ने नानाजी को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि नानाजी महापुरुष थे और जो महापुरुष होते हैं, वह सुख-दुख एवं संपत्ति-विपत्ति में एक समान होते हैं। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए संस्थान के अध्यक्ष वीरेंद्रजीत सिंह ने कहा कि पंडित दीनदयाल जी ने जो दर्शन हमारे सामने प्रस्तुत किया, उसको साकार रूप में देखने के लिए हमे नानाजी के कार्यों को नजदीक से देखना होगा।


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