भविष्यनिधि की राशि से ब्याज कम कर प्रदेश सरकार कर्मचारियों का भविष्य बिगाड़ रही : गोपाल भार्गव

भविष्यनिधि की राशि से ब्याज कम कर प्रदेश सरकार कर्मचारियों का भविष्य बिगाड़ रही : गोपाल भार्गव
मुख्यमंत्री अपने कामों से एमपी की पहचान बताएं, नाचने-गाने वालों से नहीं, वित्त विभाग ने भी बताया है आइफा को फिजूल खर्ची
जांच के नाम पर दोषी कलेक्टर को बचा रही सरकार



 भोपाल। प्रदेश की कमलनाथ सरकार का निर्णय कर्मचारी विरोधी है। कांग्रेस ने हमेशा से ही कर्मचारियों के अहित ही किए हैं। भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय कर्मचारियों को भविष्यनिधि पर ब्याज दर 8.75 प्रतिशत मिलती थी, लेकिन कमलनाथ सरकार ने इसको घटाकर कम कर दिया है। सरकार एक तरफ फिजूल खर्ची करके नाचने-गाने वालों पर करोड़ों रुपए फूंकने जा रही है, लेकिन अपने ही कर्मचारियों के साथ नाइंसाफी कर रही है। ये बातें नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कही। वे गुरुवार को उमरिया में थे और पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। 
प्रदेश सरकार कर्मचारी विरोधी
 नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कर्मचारी प्रदेश सरकार के लिए काम करते हैं, लेकिन सरकार को उनकी चिंता नहीं है। आज कर्मचारियों एवं अधिकारियों को यह भरोसा नहीं है कि आज कहाँ हैं और कल कहाँ होंगे। सूटकेस लेकर निकलते हैं और सूटकेस रखते हैं जब तक आदेश ही बदल जाता है। ऐसे परेशान कमर्चारियों और अधिकारियों के लिए ब्याज पर कटौती करना भी उचित नहीं है। प्रदेश सरकार को यह फैसला वापस लेना चाहिए। इससे प्रदेश के 10 लाख से अधिक कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं। निम्न आय वर्ग के कर्मचारी और अधिकारी अधिक परेशान हैं। यह बहुत बड़ा आघात है और सरकार द्वारा यह फैसला वापस लिया जाना चाहिए। 
आइफा में जनधन का दुरुपयोग-इसे रदद् करें सरकार
 एक सवाल के जबाव में नेता प्रतिपक्ष श्री भार्गव ने कहा कि कमल नाथ सरकार आम लोगों के धन को बर्बाद करके और प्रदेश की माली हालत को बिगाड़कर ब्रांडिंग ना करें। यदि प्रदेश की ब्रांडिंग करना ही है तो सरकार अपने बेहतर कामों के जरिए करें। लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी सरकार ने ऐसा कुछ काम ही नहीं किया है। जिसे वह देश-दुनिया को बता सकें। यही कारण है कि अब मुख्यमंत्री नाचने गाने वाले हीरो-हीरोइनों की जरिए प्रदेश की ब्रांडिंग करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब वित्त विभाग की आपत्ति भी आ गई है। सरकार को तत्काल इस आयोजन पर रोक लगानी चाहिए। मध्यप्रदेश सरकार स्वयं के सुख के लिए और चुनिंदा लोगों को लाभ पहुँचाने के लिए आइफा अवार्ड आयोजित कर रही है। 32 करोड़ रूपए का प्राथमिक व्यय आया है, जो सरकार की फंड से जाना है। जब सरकार स्वयं कहती है कि वह वित्तीय संकट में है, रोजाना किसी न किसी मद में कटौती की घोषणा करती है। ऐसे समय अय्याशी और झूठी ब्रांडिंग के ऊपर बड़ी राशि खर्च की जाती है तो निश्चित रूप से यह जनधन का दुरूपयोग है। सरकार आइफा अवार्ड को रद्द करे, क्योंकि इससे प्रदेश को कोई लाभ नहीं होने वाला और न ही इससे कोई आय नहीं होने वाली है। यह आयोजन शुद्ध फिजूलखर्ची है, मैं इसका विरोध करता हूं। 
आरोप साबित तो जांच के नाम पर अधिकारी भेजना राजनीतिक कर्मकांड
श्री गोपाल भार्गव ने कहा कि जब राजगढ़ की घटना शुरुवाती जांच में सही पाई गई है तो इसके बाद इसकी जांच वरिष्ठ अफसरों से करवाने का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता है। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी जांच दल के नाम पर सरकार द्वारा उच्च अधिकारी को भेजना सिर्फ राजनीतिक कर्मकांड है। यह मामले को दबाने का और विवादास्पद बनाने का एक सरकारी प्रयास है। सरकार की इस प्रकार की चालाकी की निंदा करता हूं। प्रदेश सरकार इस प्रकार से अपने दोषी अधिकारियों को संरक्षण देना बंद करे, क्योंकि जब एक बार जांच हो चुकी है, रिपोर्ट मिल चुकी है उसके बाद कोई कमेटी बनाई जाना बिल्कुल भी उचित नहीं है।


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