आसाराम तिराहा स्थित ग्रेड सेपरेटर के धंसकने की बड़ी वजह

भोपाल. आसाराम तिराहे पर ग्रेड सेपरेटर के धंसकने की बड़ी वजह इसकी एप्रोच रोड में काली मिट्टी व मुरम का इस्तेमाल किया जाना है। सीसी ब्लॉक को जोड़ने के लिए एंकर भी नहीं लगाए गए। अब इस ब्रिज काे दुरुस्त करने का एक ही विकल्प है- इसे पूरा खोलकर दोबारा बनाएं। इसमें दो से तीन महीने लगेंगे। क्योंकि होली का त्योहार और गेहूं की कटाई शुरू होने पर लैबर मुश्किल से मिलेगी। लालघाटी चौराहे से मुबारकपुर जोड़ तक करीब 221 करोड़ के इस पूरे प्रोजेक्ट में अन्य लापरवाही को भी जोड़ लिया जाए तो कम से कम 50 करोड़ रुपए का घपला हुआ है। 



एयरपोर्ट तिराहे पर बन रहे ग्रेड सेपरेटर पर भी सीसी ब्लॉक का अलाइनमेंट ठीक नहीं है। सिंगारचोली आरओबी की आरई वॉल के ब्लॉक भी खिसकते हुए देखे जा सकते हैं। कहीं  लकड़ी, कहीं थर्माकोल भरकर इन सीसी ब्लॉक को रोकने की कोशिश की गई है। इस पूरे प्रोजेक्ट में ड्रेनेज सिस्टम का भी ध्यान नहीं रखा, इससे बारिश का पानी ब्रिज पर जमा हो जाता है। पूरे प्रोजेक्ट की 10 फीसदी राशि यानी 21 करोड़ इसी पर खर्च होना थे। पूरे मामले की विस्तृत तकनीकी जांच हो, ताकि कोई हादसा न हो और जांच होने तक कार्य स्थगित रखें।


हम पर असर


दो महीने तक एयरपोर्ट की ओर जाने-आने वाले लोगों को ट्रैफिक जाम से जूझना पड़ेगा।


हकीकत...


भारी लापरवाही... प्रोजेक्ट का कांट्रेक्ट एनएचएआई ने सीडीएस कंपनी को दिया था, उसने स्थानीय कांट्रेक्टर्स को काम सौंप दिया। दाता कॉलोनी, आसाराम तिराहा और एयरपोर्ट के सामने स्थित ग्रेड सेपरेटर में ब्लैक कॉटन सॉइल व येलो सॉइल का इस्तेमाल किया गया है। तकनीकी रूप से सॉइल की क्वालिटी तय करने वाले पैरामीटर सीबीआर (कैलिफोर्निया बियरिंग रेशो) की बात करें तो कॉटन सॉइल और येलो सॉइल की सीबीआर 4 से भी कम होती है। जबकि यह कम से कम 7 होना चाहिए।


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